गतिमान बेरुखी, पढ़ाई का संबंध

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आज के युग में बच्चों को शिक्षा की ओर आकर्षित करना एक बड़ी चुनौती बन गया है। निरंतर प्रौद्योगिकी और उत्साह के कारण, बच्चे पढ़ाई से दूर रुचि खो चुके हैं। read more यह उनकी भविष्य को भी प्रभावित करता है।

परिवार और शिक्षा प्रणाली को मिलकर बच्चों की {रुचिध्यान को आकर्षित करना होगा। उन्हें सीखने में आनंद होना चाहिए, न कि केवल दबाव।

मन भटक गया है, पुस्तकें भुला दी गयीं

यह कैसी व्यथा है यह। व्यक्ति जिसका दिमाग़ भटक गया है, वह किताबें भूल गया है. हमेशा विचारो में खो जाता है, और ज्ञान का पथ भूल जाता है।

अध्ययन में थकान, रुचि कहाँ छुपी है?

आज के युग में ज्ञान का महत्व और भी बढ़ गया है। फिर भी, अनेकों छात्रों में पढाई की ओर प्रतिबद्धता कम होती जा रही है। यह सोचना थोड़ा अजीब लगता है कि जब बेहद सारे अवसर उपलब्ध हैं, फिर भी युवा पीढ़ी पढाई में उदासी से जूझ रही है। क्या यह मानसिक सुधार की कमी है, या फिर छात्रों की रुचि को आकर्षित करने में असफल हो रही हैं? यह एक गंभीर चिंता का विषय है जिसे हमारी तत्काल देखभाल में लेने की आवश्यकता है।

उचित शिक्षण पद्धतियां को बढ़ावा देना, छात्रों के मन में जिज्ञासा को जगाना और उन्हें कौशल विकास हासिल करने के लिए प्रेरित करना महत्वपूर्ण है। केवल ज्ञान ही जीवन की गतिशीलता नहीं, बल्कि एक स्थायी और मान्य भविष्य का निर्माण भी करती है।

मनोरंजन की जंग, पढ़ाई का नुकसान

आज के दौर में, बच्चों/युवाओं/नौजवानों को हर तरफ से मनोरंजन का आकर्षण दिखाई देता है। टीवी/गेम्स/इंटरनेट पर नये-नये प्रोग्राम/गेम/कंटेंट लगातार प्रस्तुत होते रहते हैं जो उनकी ध्यान/रुचि/समय को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। परंतु/लेकिन/वह, पढ़ाई का भी महत्व/उपयोग/ज़रूरीता है। मनोरंजन में भोगे हुए समय का बदला अध्ययन/बौद्धिक विकास/ज्ञान में एक अथाह प्रवाहिती, जो हमें निराशाजनक परिणामों के साथ बनाता है। हमेशा अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहकर, और हर कदम पर ज्ञान प्राप्ति की चाहत रखते हुए ही इस बड़े सफ़र में सफलता' का स्वाद ले सकते हैं । ज्ञान हमें मन की शांति| आत्मिक उन्नति| नई समझ देकर, यह शून्यता भर सकता है।

यह शून्यता है जो ज्ञान की प्राप्ति तक हमें विचलित करती है, और हमें अनंत खोज में खो देती है।

बढ़ती तनाव और पढ़ाई का विरोध

आज के समय में बच्चे बहुत ज़्यादा/बहुत तनाव से जूझ रहे हैं। बच्चों की आँखों में पढ़ाई का भारीपन झलकता है।

पाठ्यक्रम के प्रति उनकी इच्छा कम हो रही है और वे पढ़ाई को एक ज़रूरी/बोरिंग काम मानने लगे हैं।

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